Lalita Vimee

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दस लड्डू

बचपन को अगर  फिर से जीने का मौका मिले तो ,शायद कोई भी ,  को ही भाती हैं।
मेरा स्वयं का बचपन तो बहुत ही सघंर्ष मय रहा है,ऐसी कोई  शरारत या मस्ती भरी  स्मृति मेरे पास नहीं है जो मैं किसी से बाँट सकूं। जब से होशसभांला अपनी मंमी को बीमार ही पाया, मैं जब दसंवी कक्षा में  पहुंची तो ब्लड कैंसर से उनकी मौत हो ग ई थी। 
बचपन के उन हालातों में मुझे घर के काम में भी काफी मदद करनी पड़तीथी,फिर स्कूल का काम। मेरी स्कूल की पढाई हरियाणा के एक गांव के सरकारी स्कूल से हुई है, स्कूल घर से बहुत दूर हूआ करता था,लगभग  पांच किलोमीटर की दूरी पर।मेरी अपनी व्यस्तता या यूं कहिये कि मेरी अपनी परिस्थितियों के कारण मेरी किसी से भी दोस्ती नहीं थी, मै लगभग चुप या अपने हालातों में ही उलझी सी रहती थी।।पढाई में बढ़िया परिणाम था ,बस गणित विषय में मेरी कोई रूचि नहीं थी।बहुत मेहनत के बाद भी पास ही हो पाती थी।।
              बात तब की है जब मैं आठवीं कक्षा में पढती थी,तीन दिन पहले ही  हमारे गणित के अध्यापक  ने हमारा टैस्ट लिया था,बहुत मेहनत के बाद भी मुझे डर था कहीं टैस्ट में फैल न हो जाऊँ, टैस्ट के बाद माँ की खराब तबीयत के कारण तीन दिन स्कूल नहीं जा पायी।।कोई सहेली न होने के कारण कोई भी स्कूल संबंधित सूचना मेरे पास नहीं थी। 
          चौथे दिन माँ की तबीयत में सुधार दिखा तो सुबह जल्दी उठ कर घर का काम निपटाया, व जल्दी तैयार होकर  पांच किलोमीटर का वो स्कूल का ठंड भरा रास्ता तय किया। 
लगभग भागती सी स्कूल पहुंची थी, गणित का टैस्ट अभी भी दिमाग पर हावी था।
मुख्य द्वार में पहुंच ते ही स्कूल मे कुछ ज्यादा ही भीड़ दिखी, कुछ विधार्थियों व अध्यापकों के चेहरे तो बिलकुल अनजाने से थे।सब इधर उधर घूम रहे थे,,जैसे ही स्कूल के मैदान में प्रवेश करने लगी,तो देखा हमारे स्कूल के पी टी आई मास्टर साहब,और अंग्रेजी की अध्यापिका महोदया, कुछ बातें करते हुए मुख्य दरवाजे की तरफ ही देख रहे थे , मुझ पर नजर पड़ते ही मास्टर साहब  जैसे गुस्से से में चिल्लायें थे, लो वो आ गई,और वो डन्डा लेकर मेरी तरफ ही तेजी से बढ़ रहे थे,
जल्दी जल्दी भाग के आ ललिता।
मै कुछ डरी डरी सी उन लोगों की तरफ आ गई।
मेरे हाथ जुड़ गये थे मैम और मास्टर साहब की तरफ।मैम ने तो मेरे सिर पर स्नेहिल स्पर्श दिया था, पर मास्टर साहब ने कहा ठीक है ठीक है।कहाँ थी तीन दिन।
मंमी ज्यादा बीमार थी सर।
अच्छा ,चल  सुन,अपने स्कूल में  पांच स्कूलों की टीमें आई हुई हैं,फटाफट अपने डंबल्सऔर लैजियम सभांलो और अपने ग्रुप को तैयार करो,पी टी का भी मुकाबला है,और ध्यान रहे अव्वल थमने ए आना है,मास्टर साहब ने हरियाणवी लहजे में बोलते हुऐ अपना डन्डा जमीन पर पटका था।
नहीं नहीं सर,ये और इसके ग्रुप के लड़के,लड़कियाँ बहुत मेहनती हैं, जरूर पोजीशन हासिल करेगें।
अरे हाँ बेटा एक निबन्ध प्रतियोगिता भी है,पी टी के तुरन्त बा।मैंने तो तुम्हारा नाम कल ही दे दिया था।इस लिए ही तुम्हारा इन्तजार था।
जी मैम।
मैने अपने ग्रुप को इकठ्ठा किया और मास्टर साहब के सामने लगभग आधा घन्टा अभ्यास किया।।
चार दिन से माँ की बीमारी की वजह से पेटभर खाना भी नहीं खा पा रही थी हम दोनों बहनें,चाय और ब्रैड ही सबंल बनी हुई थी,पांच किलोमीटर स्कूल की दूरी और फिर आते ही पी टी का अभ्यास,मेरी एक कप चाय और दो सूखी ब्रैड जैसे पेट से लापता ही हो गई थी। स्कूल में मैहमानों के चाय नाश्ते की  सुगंध तो जैसे भूख को और बढ़ा रही थी।
तभी कार्य क्रम की घोषणा प्रारम्भ हो गई थी,भागीदारी का हमारा नम्बर चौथा था। मेरे नेतृत्व में हमारी तीस बच्चों की टीम थी।निबंध प्रतियोगिता भी उसके तुरन्त बाद थी। 
प्रतियोगिता के बाद सब बच्चे अपना अपना खाना लेकर खाने लगे,मेरे पास कुछ भी नहीं था,और हकीकत में अब मुझे भूख भी नहीं थी,मैं अपनी कक्षा के कमरे में आकर बैठ गई थी।
तभी अपने स्कूल का और अपना नाम सुनकर जैसे मुझ में  नवचेतना आ गई थी,मैरे पैर दोडते हुए ग्राउंड की तरफ घूम गये थे।हमारे स्कूल की टीम को पी टी और लैजियम में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ था,डंबल्स में हमें तृतीय स्थान मिला था। निबंध प्रतियोगिता में मुझे प्रथम स्थान प्राप्त हुआ था।मैं ग्राउंड के बीच में ही रूक गई थी,आँखे लबालब होकर छलक गई थी,सब कुछ धुधंला सा लग रहा था केवल  माईक की आवाज ही सुन पा रही थी।
चलो ललिता  मंच पे पहुंचों,गणित अध्यापक की रोबीली आवाज ने मुझे भावनाओं से यथार्थ पे ला दिया था।
  मैने उनकी तरफ दोनों हाथ जोडें तो वो बोले, 
ठीक सै ठीक सै, मैथ में भी इतनी मेहनत करया कर,तूं  तै म्हारी   होशियार बेटी है।
 पहली बार गणित मास्टर साहब का इतना स्नेहिल स्वर सुना था।
मुझे उस दिन दो प्रमाण पत्र व दस लड्डू मिले थे ,जिन्हें मैने घर आकर गर्म चाय  बना   कर अपनी मां  और बहन संग खाया था। उस परिस्थिति में पायी उस उपलब्धि को मैं कभी नहीं भूल सकती।।
                     .................      ललिताविम्मी।।
                                   ‌       भिवानी, हरियाणा


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4 Comments

Niraj Pandey

09-Oct-2021 04:32 PM

बहुत खूब

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Shalini Sharma

29-Sep-2021 12:07 PM

Beautiful

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Miss Lipsa

26-Aug-2021 09:05 AM

Bohut sundar

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